ST, SC, OBC Baba Ambetkar rally against Cm Shivraj singh chouhan - Indian-Culture

All In One Website

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Saturday, 23 June 2018

ST, SC, OBC Baba Ambetkar rally against Cm Shivraj singh chouhan


st sc adhkar act rally

★गिरेवान मे झांककर देखे,नींद से जागो★

वैचारिक क्रान्ति की लहर समाज जागृति,हौसले बुलंद हो
रोये समाज चिंता किसको
गुलामे समाज चिंता किसको

रोये समाज चिंता किसको.
भूख लगे खाना कोन दे.बीमार है समाज hospital कोन ले जाये.

गुलामे समाज चिंता किसको.
धर्मान्तर मे समाज जुझ रहा.तोड़ किसके पास.
दूसरे समाज मे लड़कियो की शादि करा रहे.बोलने वाला कोन उन्हे.

दहेज प्रथा आसमा कि बुलन्दी पर.कोई बाप जमीन बेच कर,तो कोई घर तो
कोई कर्ज लेकर शादी करा रहे,

रोये समाज चिंता किसको.
जल ,जंगल.जमीन के लिये गवाई लाखो ने जाने अपनी,

आज पेड़ काटे तो वनविभाग.जल माँगे तो  जलविभाग,विधुतविभाग.
जमीन पडी है .पटवारी ,तहसीलदार के पास.

वाह .जल ,जंगल .जमीन.पर हक आदिवासी का,
मालिक कहे जाते हो.क्या यही है मालिकाना.

मानते है,भोला है समाज .पर गुलामी से छुटकारे और आजादी का तोड़ किसके पास.चलते रहे समाज के सुभचिन्तक बनकर.

समाज लुटा रहा पल पल मे तोड़ कहा है,
कोई बन्ध्वा मजदुर.
कोई.कर्ज मे फसा.          ------ इसका तोड़ कहा.

दारू.डायन(चूडेल)
की हकिकत सभी को पता है.जिससे समाज बिखर गया है,

रोये समाज चिंता किसको.
कोई समाज सेवा का दिखावा करे.
कोई राजनीतिक फ़ायदे के लिये समाज सेवा का  ढोंग करे.
भोला समाज लुट रहा है.हर सेकंड मे.                --तोड़ कहा.

गुलामी मे जी रहे है हम.और समाज को कहे हम मालिक है.
मालिक केसे बोल सकते है.जब कोई भी आजादी नसीब नही .

मर रहा समाज का किसान कर्ज के कारण.जहर खा कर.तो कोई फासी लगा कर.भला कोन क्या करे.
मीटिंग.बेठ्क तो हजारो की समाज के नाम पर .पर ,मिला क्या.
गाँव कस्बो मे जहां आदिवासी समाज निवास करे.वहां बात मालूम नही नही,

लिखो,बोलो.करो.समाज की चिंता पर .
अँधेरे मे समाज को ना रहने दो.
शिक्षित भाई समाज मे शिक्षा की जाग्रति का जिम्मा ले.
योजनाओ की जानकारी फेलाओ.

समाज के अस्तित्व बचाने की ओर कदम बडे.

लिखू तो गुलामी की पोस्ट ओर दिखावे की पोस्ट लिखने की आदत नही ,
कट्टर पोस्ट लिखू तो .रोये अपने हि लोग.क्योकी.
गुलामी की आदत जो पडी है.
कोई पार्टी मे बटा.कोई जाति भेदभाव मे बटा.

रोये समाज चिंता किसको.
देखकर भि उसका जिक्र ना करो वो समाज सेवा के सुभचिन्तक किस काम के.सोच बदलो.खुदमे बदलाव लाओ.

भिल.बारेला.कोर्खू.साहरिया.गोन्ड़.आदि से ऊपर सोचो हम आदिवासी है.
एकता की बात करो.पर एकता लाने के लिये तोड़ भि निकालो.

-बहुत हुवा ये नाटक-
पदोन्नति मे आरक्षण खत्म हुवा तो .आदिवासी कर्मचारी जागा.
पहले सोच कहा थी,
बेरोजगार युवा को समाज कि  चिंता पडी,

रोये समाज चिंता किसको.
जब.अपने आदिवासी प्रतिनिधी.अपने मुद्दो को आगे सरकार के सामने.
लोकसभा,विधानसभा मे हि ना रखे.तो pm को क्या पता किसको क्या समस्या.वाह.वाह.

रोये समाज चिंता किसको.
आजादी कि आस मे जिये समाज.गुलामे चिन्तक क्या करे.

रोये समाज चिंता किसको.
हजारो सालो से समाज के संघटन काम कर रहे.फ़िर भि समाज मे बदलाव
नजर नही आता.आज भी उसी रहा पर  चले तो क्या होगा.

रोये समाज चिंता किसको
कमी तो हमारे हि लोगो मे नजर आये.कोशे किसी और को तो क्या फ़ायदा.
लिखना आता नही इसलिए लिखना सिख रहा हुँ!

*मेरे लेख से समाज मे कुछ गलत मेसेज जाये तो लिखना छोड दूँगा पर
समझौता पसंद नही मुझे!

बस बहुत हुवा.हर बात के लिये हमे,रोड पर उतरना पड़ रहा.कहि ग्यापन.
तो कभी धरना प्रदर्शन.तो कभी भोपाल तो कभी दिल्ली.
मे जाकर समस्याओ को लेकर भुख हडताल हम कर रहे तो.फ़िर प्रतिनिधी किस काम के.नोटा बटन फिर जिन्दाबाद

जिंसको मेसेज फिट हो उसी को मिर्ची लगें,
ओर मिर्ची लगने पर मसले नही पानी डालकर साफ करें,
बात समझो अच्छा,बात ना समझो तो.-------===

जय आदिवासी
जय प्रकृति,जय आदिवासी भारत बाप देश,
!!गुमनाम आदिवासी धर्मपूर्वी!!

More News
       

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad